Sandhi v Tyache Prakar
संधी व त्याचे प्रकार
Marathi Sandhi | Sandhi v Sandhiche Prakar
संधी व त्याचे प्रकार | Sandhi v tyache prakar | Marathi Sandhi | Sandhi v Sandhiche Prakar | Sandhi in Marathi ) :-
आपण बोलत असताना आपल्याला नवनवीन शब्दांची ओळख होत असते. बऱ्याच वेळी काही शब्द असतात जे दोन वेगवेगळ्या शब्दांपासून बनलेले असतात परंतु आपण त्यांचा उच्चार एकत्र करत असतो.
उदाहरणार्थ :-
'गुरूपदेश' हा शब्द गुरू + उपदेश या दोन शब्दांपासून तयार झालेला आहे. तसेच
विग्रह वर्णसंधी संधी ज्ञान + ईश्वर अ + ई = ए ज्ञानेश्वर अरूण + उदय अ + उ = ओ अरूणोदय राजा + औदार्य आ + औ = औ राजौदार्य यश: + धन - यशोधन सम् + आचार म् + आ समाचार सत् + जन त् + ज् = ज् सज्जन
विग्रह | वर्णसंधी | संधी |
---|---|---|
ज्ञान + ईश्वर | अ + ई = ए | ज्ञानेश्वर |
अरूण + उदय | अ + उ = ओ | अरूणोदय |
राजा + औदार्य | आ + औ = औ | राजौदार्य |
यश: + धन | - | यशोधन |
सम् + आचार | म् + आ | समाचार |
सत् + जन | त् + ज् = ज् | सज्जन |
वरील प्रमाणे जे जोडशब्द तयार होतात त्यांनाच संधी असे म्हणतात.
हे पण पहा :- नाम व त्याचे प्रकार
संधी म्हणजे काय ?
उदाहरणार्थ :-
विग्रह वर्णसंधी संधी ज्ञान + ईश्वर अ + ई = ए ज्ञानेश्वर अरूण + उदय अ + उ = ओ अरूणोदय राजा + औदार्य आ + औ = औ राजौदार्य यश: + धन - यशोधन सम् + आचार म् + आ समाचार सत् + जन त् + ज् = ज् सज्जन
विग्रह | वर्णसंधी | संधी |
---|---|---|
ज्ञान + ईश्वर | अ + ई = ए | ज्ञानेश्वर |
अरूण + उदय | अ + उ = ओ | अरूणोदय |
राजा + औदार्य | आ + औ = औ | राजौदार्य |
यश: + धन | - | यशोधन |
सम् + आचार | म् + आ | समाचार |
सत् + जन | त् + ज् = ज् | सज्जन |
तसेच जेव्हा जोडशब्दांना आपण वेगळे करत असतो त्याला आपण त्या जोडशब्दाचा विग्रह म्हणजेच संधीचा विग्रह करणे असे म्हणतो.
संधीचे प्रकार पुढील प्रमाणे आहेत.
➤ स्वरसंधी [ Swar Sandhi ]
➤ व्यंजनसंधी [ Vyanjan Sandhi ]
➤ विसर्गसंधी [ Visarg Sandhi ]
स्वर संधी म्हणजे काय ?
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी पर + उपकार अ + उ = ओ परोपकार अरूण + उदय अ + उ = ओ अरूणोदय पितृ + औदार्य ऋ + औ = र पित्रोदार्य पितृ + आज्ञा ऋ + आ = र पित्राज्ञा गै + अक ऐ + अ = आय गायक नै + अक ऐ + अ = आय नायक ब्रम्ह + ऋषी अ + ऋ = अर् ब्रम्हर्षी गंगा + उदक आ + उ = ओ गंगोदक अनु + अर्थ उ + अ = व अन्वर्थ मनु + अंतर उ + अं = व मन्वंतर अति + उत्तम इ + उ = य अत्युत्तम किती + एक ई + ए = य कित्येक महा + औदार्य आ + औ = औ महौदार्य राजा + औदार्य आ + औ = औ राजौदार्य क्षण + एक अ + ए = ऐ क्षणैक एक + एक अ + ए = ऐ एकैक पर + उपकार अ + उ = ओ परोपकार अरूण + उदय अ + उ = ओ अरूणोदय ज्ञान + ईश्वर अ + ई = ए ज्ञानेश्वर वनिता + आश्रम आ + आ= आ वनिताश्रम गीता + अर्णव आ + अ = आ गीतार्णव
हे पण पहा :- बहुव्रीहि समास
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
पर + उपकार | अ + उ = ओ | परोपकार |
अरूण + उदय | अ + उ = ओ | अरूणोदय |
पितृ + औदार्य | ऋ + औ = र | पित्रोदार्य |
पितृ + आज्ञा | ऋ + आ = र | पित्राज्ञा |
गै + अक | ऐ + अ = आय | गायक |
नै + अक | ऐ + अ = आय | नायक |
ब्रम्ह + ऋषी | अ + ऋ = अर् | ब्रम्हर्षी |
गंगा + उदक | आ + उ = ओ | गंगोदक |
अनु + अर्थ | उ + अ = व | अन्वर्थ |
मनु + अंतर | उ + अं = व | मन्वंतर |
अति + उत्तम | इ + उ = य | अत्युत्तम |
किती + एक | ई + ए = य | कित्येक |
महा + औदार्य | आ + औ = औ | महौदार्य |
राजा + औदार्य | आ + औ = औ | राजौदार्य |
क्षण + एक | अ + ए = ऐ | क्षणैक |
एक + एक | अ + ए = ऐ | एकैक |
पर + उपकार | अ + उ = ओ | परोपकार |
अरूण + उदय | अ + उ = ओ | अरूणोदय |
ज्ञान + ईश्वर | अ + ई = ए | ज्ञानेश्वर |
वनिता + आश्रम | आ + आ= आ | वनिताश्रम |
गीता + अर्णव | आ + अ = आ | गीतार्णव |
स्वरसंधीचे नियम पुढीलप्रमाणे आहे.
नियम स्वर पुढील स्वर बदल १
सजातीय स्वर
सजातीय स्वर
दीर्घ स्वर
२ अ किंवा आ इ किंवा ई ए ३ अ किंवा आ उ किंवा ऊ ओ ४ अ किंवा आ ए किंवा ऐ ऐ ५ अ किंवा आ ओ किंवा औ औ ६ इ किवा ई विजातीय स्वर य ७ उ किंवा ऊ विजातीय स्वर व ८ ऋ विजातीय स्वर र ९
ए
विजातीय स्वर
अय
१० ऐ विजातीय स्वर आय ११ ओ विजातीय स्वर अव १२ औ विजातीय स्वर आव
नियम | स्वर | पुढील स्वर | बदल |
---|---|---|---|
१ | सजातीय स्वर | सजातीय स्वर | दीर्घ स्वर |
२ | अ किंवा आ | इ किंवा ई | ए |
३ | अ किंवा आ | उ किंवा ऊ | ओ |
४ | अ किंवा आ | ए किंवा ऐ | ऐ |
५ | अ किंवा आ | ओ किंवा औ | औ |
६ | इ किवा ई | विजातीय स्वर | य |
७ | उ किंवा ऊ | विजातीय स्वर | व |
८ | ऋ | विजातीय स्वर | र |
९ | ए | विजातीय स्वर | अय |
१० | ऐ | विजातीय स्वर | आय |
११ | ओ | विजातीय स्वर | अव |
१२ | औ | विजातीय स्वर | आव |
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी गीता + अर्णव आ + अ = आ गीतार्णव वनिता + आश्रम आ + आ= आ वनिताश्रम गुरु + उपदेश उ + उ = ऊ गुरूपदेश मुनि + इच्छा इ + इ = ई मुनीच्छा सूर्य + अस्त अ + अ = आ सूर्यास्त कवी + इच्छा ई + इ = ई कवीच्छा
नियम २] ‘अ’ किंवा ‘आ’ यांच्यापुढे ‘इ’ किंवा ‘ई’ आल्यास त्या दोहोंएवजी ‘ए’ होतो.
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
गीता + अर्णव | आ + अ = आ | गीतार्णव |
वनिता + आश्रम | आ + आ= आ | वनिताश्रम |
गुरु + उपदेश | उ + उ = ऊ | गुरूपदेश |
मुनि + इच्छा | इ + इ = ई | मुनीच्छा |
सूर्य + अस्त | अ + अ = आ | सूर्यास्त |
कवी + इच्छा | ई + इ = ई | कवीच्छा |
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी ज्ञान + ईश्वर अ + ई = ए ज्ञानेश्वर गण + ईश अ + ई = ए गणेश महा + इंद्र आ + इ = ए महेंद्र ईश्वर + इच्छा अ + इ = ए ईश्वरेच्छा यथा + इष्ट आ + इ = ए यथेष्ट रमा +ईश आ + ई = ए रमेश
नियम ३] ‘अ’ किंवा ‘आ’ यांच्यापुढे ‘उ’ किंवा ‘ऊ’ आल्यास त्या दोहोंएवजी ‘ओ’ होतो.
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
ज्ञान + ईश्वर | अ + ई = ए | ज्ञानेश्वर |
गण + ईश | अ + ई = ए | गणेश |
महा + इंद्र | आ + इ = ए | महेंद्र |
ईश्वर + इच्छा | अ + इ = ए | ईश्वरेच्छा |
यथा + इष्ट | आ + इ = ए | यथेष्ट |
रमा +ईश | आ + ई = ए | रमेश |
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी अरूण + उदय 2अ + उ = ओ अरूणोदय पर + उपकार अ + उ = ओ परोपकार गंगा + उदक आ + उ = ओ गंगोदक समुद्र + ऊर्मी अ + ऊ = ओ समुद्रोर्मी गंगा + उर्मी आ + उ = ओ गंगोर्मी महा + उत्सव आ + उ = ओ महोत्सव
हे पण पहा :- तत्सम शब्द
नियम ४] ‘अ’ किंवा ‘आ’ यांच्यापुढे ‘ए’ किंवा ‘ऐ’ आल्यास त्या दोहोंएवजी ‘ऐ’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
अरूण + उदय | 2अ + उ = ओ | अरूणोदय |
पर + उपकार | अ + उ = ओ | परोपकार |
गंगा + उदक | आ + उ = ओ | गंगोदक |
समुद्र + ऊर्मी | अ + ऊ = ओ | समुद्रोर्मी |
गंगा + उर्मी | आ + उ = ओ | गंगोर्मी |
महा + उत्सव | आ + उ = ओ | महोत्सव |
उदाहरणार्थ :-
विग्रह स्वर संधी एक + एक अ + ए = ऐ एकैक क्षण + एक अ + ए = ऐ क्षणैक सभा + ऐक्य आ + ऐ = ऐ सभैक्य मत + ऐक्य अ + ऐ = ऐ मतैक्य जन + ऐक्य अ + ऐ = ऐ जनैक्य विद्या + ऐश्वर्य आ + ऐ = ऐ विद्यैश्वर्य
नियम ५] ‘अ’ किंवा ‘आ’ यांच्यापुढे ‘ओ’ किंवा ‘औ’ आल्यास त्या दोहोंएवजी ‘औ’ होतो.
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
एक + एक | अ + ए = ऐ | एकैक |
क्षण + एक | अ + ए = ऐ | क्षणैक |
सभा + ऐक्य | आ + ऐ = ऐ | सभैक्य |
मत + ऐक्य | अ + ऐ = ऐ | मतैक्य |
जन + ऐक्य | अ + ऐ = ऐ | जनैक्य |
विद्या + ऐश्वर्य | आ + ऐ = ऐ | विद्यैश्वर्य |
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी राजा + औदार्य आ + औ = औ राजौदार्य महा + औदार्य आ + औ = औ महौदार्य वृक्ष + औदार्य अ + औ = औ वृक्षौदार्य वन + औषधी अ + औ = औ वनौषधी यमुना + ओघ आ + ओ = औ यमुनौघ जल + ओघ अ + ओ = औ जलौघ
नियम ६] ‘इ’ किंवा ‘ई’ यांच्यापुढे विजातीय स्वर आल्यास ‘य’ होतो.स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
राजा + औदार्य | आ + औ = औ | राजौदार्य |
महा + औदार्य | आ + औ = औ | महौदार्य |
वृक्ष + औदार्य | अ + औ = औ | वृक्षौदार्य |
वन + औषधी | अ + औ = औ | वनौषधी |
यमुना + ओघ | आ + ओ = औ | यमुनौघ |
जल + ओघ | अ + ओ = औ | जलौघ |
विग्रह स्वर संधी किती + एक ई + ए = य कित्येक अति + उत्तम इ + उ = य अत्युत्तम अति + अल्प इ + अ = य वृक्षौदार्य प्रति + अंतर इ + अं = य प्रत्यंतर अति + आचार इ + आ = या अत्याचार अति + आनंद इ + आ = या अत्यानंद
नियम ७] ‘उ’ किंवा ‘ऊ’ यांच्यापुढे विजातीय स्वर आल्यास ‘व’ होतो.
स्वर संधीचे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
किती + एक | ई + ए = य | कित्येक |
अति + उत्तम | इ + उ = य | अत्युत्तम |
अति + अल्प | इ + अ = य | वृक्षौदार्य |
प्रति + अंतर | इ + अं = य | प्रत्यंतर |
अति + आचार | इ + आ = या | अत्याचार |
अति + आनंद | इ + आ = या | अत्यानंद |
स्वर संधीचे उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी मनु + अंतर उ + अं = व मन्वंतर अनु + अर्थ उ + अ = व अन्वर्थ सु + अल्प उ + अ = व स्वल्प सु + आनंद उ + आ = वा स्वानंद गुरु + आज्ञा उ + आ = वा गुर्वाज्ञा भानू + ईश्वर ऊ + ई = वी भान्वीश्वर
नियम ८] ‘ऋ’ च्यापुढे विजातीय स्वर आल्यास ‘र’ होतो.
स्वर संधीचे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
मनु + अंतर | उ + अं = व | मन्वंतर |
अनु + अर्थ | उ + अ = व | अन्वर्थ |
सु + अल्प | उ + अ = व | स्वल्प |
सु + आनंद | उ + आ = वा | स्वानंद |
गुरु + आज्ञा | उ + आ = वा | गुर्वाज्ञा |
भानू + ईश्वर | ऊ + ई = वी | भान्वीश्वर |
स्वर संधीचे उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी धृ + अन ऋ + अ = र धरण मातृ + इच्छा ऋ + इ = र मत्रीच्छा भातृ + ऐक्य ऋ + ऐ = र भ्रात्रैक्य मातृ + उत्सव ऋ + उ = र मात्रुत्सव पितृ + आज्ञा ऋ + आ = र पित्राज्ञा पितृ + औदार्य ऋ + औ = र पित्रोदार्य
नियम ९] ‘ए’ च्यापुढे विजातीय स्वर आल्यास ‘अय’ होतो.
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
धृ + अन | ऋ + अ = र | धरण |
मातृ + इच्छा | ऋ + इ = र | मत्रीच्छा |
भातृ + ऐक्य | ऋ + ऐ = र | भ्रात्रैक्य |
मातृ + उत्सव | ऋ + उ = र | मात्रुत्सव |
पितृ + आज्ञा | ऋ + आ = र | पित्राज्ञा |
पितृ + औदार्य | ऋ + औ = र | पित्रोदार्य |
स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी ने + अन ए + अ = अय नयन शे + अन ए + अ = अय शयन
नियम १०] ‘ऐ’ च्यापुढे विजातीय स्वर आल्यास ‘आय’ होतो.उदाहरणार्थ :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
ने + अन | ए + अ = अय | नयन |
शे + अन | ए + अ = अय | शयन |
विग्रह स्वर संधी नै + अक ऐ + अ = आय नायक गै + अक ऐ + अ = आय गायक गै + अन ऐ + अ = आय गायन
हे पण पहा :- उपसर्गघटित शब्द
नियम ११] ‘ओ’ च्यापुढे विजातीय स्वर आल्यास ‘अव’ होतो.स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
नै + अक | ऐ + अ = आय | नायक |
गै + अक | ऐ + अ = आय | गायक |
गै + अन | ऐ + अ = आय | गायन |
विग्रह स्वर संधी गो + ईश्वर ओ + ई = अव गवीश्वर गो + अक्ष ओ + अ = अव गवाक्ष पो + अन ओ + अ = अव पवन
नियम १२] ‘औ’ च्यापुढे विजातीय स्वर आल्यास ‘आव’ होतो.स्वर संधी चे उदाहरण :-
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
गो + ईश्वर | ओ + ई = अव | गवीश्वर |
गो + अक्ष | ओ + अ = अव | गवाक्ष |
पो + अन | ओ + अ = अव | पवन |
विग्रह स्वर संधी पौ + अक औ + अ = आव पावक पौ + अन औ + अ = आव पावन नौ + इक औ + इ = आव नाविक
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
पौ + अक | औ + अ = आव | पावक |
पौ + अन | औ + अ = आव | पावन |
नौ + इक | औ + इ = आव | नाविक |
व्यंजन संधी व त्याचे नियम
Vyanjan Sandhi Marathi | Vyanjan Sandhi in Marathi | Vyanjan Sandhi v Tyache Niyam
व्यंजन संधी म्हणजे काय ?
➤ दोन शब्दाची संधी होताना जेव्हा जवळ जवळ येणाऱ्या वर्णांपैकी पहिला वर्ण व्यंजन असेल व दुसरा वर्ण व्यंजन किंवा स्वर असेल तेव्हा ती 'व्यंजन संधी' ( Vyanjan Sandhi ) असते.
[ व्यंजन संधी = व्यंजन + व्यंजन / स्वर ]
व्यंजन संधी उदाहरण :-
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह स्वर / व्यंजन संधी विपद् + काल द् + क् = त् विपत्काल वाग् + पति ग् + प् = क् वाक्पति अच् + अंत च् + अं = ज् अजंत वट् + आनन ट् + आ = ड् वडानन सत् + इच्छा त् + इ = द् सदिच्छा जगत् + नाथ त् + न् = न् जगन्नाथ सत् + जन त् + ज् = ज् सज्जन
हे पण पहा :- काळ व त्याचे प्रकार
विग्रह | स्वर / व्यंजन | संधी |
---|---|---|
विपद् + काल | द् + क् = त् | विपत्काल |
वाग् + पति | ग् + प् = क् | वाक्पति |
अच् + अंत | च् + अं = ज् | अजंत |
वट् + आनन | ट् + आ = ड् | वडानन |
सत् + इच्छा | त् + इ = द् | सदिच्छा |
जगत् + नाथ | त् + न् = न् | जगन्नाथ |
सत् + जन | त् + ज् = ज् | सज्जन |
वर्ण वर्ग तक्ता
वर्ण वर्ग १ २ ३ ४ ५ 'क' वर्ग
क्
ख्
ग्
घ्
ङ
'च' वर्ग
च्
छ्
ज्
झ्
ञ
'ट' वर्ग
ट्
ठ्
ड्
ढ्
ण्
'त' वर्ग
त्
थ्
द्
ध्
न्
'प' वर्ग
प्
फ्
ब्
भ्
म्
वर्ण वर्ग | १ | २ | ३ | ४ | ५ |
---|---|---|---|---|---|
'क' वर्ग | क् | ख् | ग् | घ् | ङ |
'च' वर्ग | च् | छ् | ज् | झ् | ञ |
'ट' वर्ग | ट् | ठ् | ड् | ढ् | ण् |
'त' वर्ग | त् | थ् | द् | ध् | न् |
'प' वर्ग | प् | फ् | ब् | भ् | म् |
➤ १ व २ हे कठोर वर्ण आहेत.
➤ ३ व ४ हे मृदू वर्ण आहेत.
➤ ५ हे अनुनासिके आहेत.
➤ १ व २ हे कठोर वर्ण आहेत.
➤ ३ व ४ हे मृदू वर्ण आहेत.
➤ ५ हे अनुनासिके आहेत.
व्यंजन संधीचे नियम पुढीलप्रमाणे आहे.
नियम १] पहिल्या पाच वर्गातील अनुनासिकाशिवाय कोणत्याही व्यंजनापुढे कठोर व्यंजन आले असता त्या पहिल्या व्यंजनाच्या जागी त्याच्याच वर्गातील पहिले कठोर व्यंजन येऊन संधी होते. त्याला 'प्रथम व्यंजन संधी' ( Pratham Vyanjan Sandhi ) असे म्हणतात.व्यंजन संधी उदाहरण :-
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह बद्दल पहिले वर्ण संधी आपद् + काल द् = त् आपत्काल षड् + शास्त्र ड = ट् षट्शास्त्र वाग् + पति ग् = क् वाक्पति क्षुध् + पिपासा ध् = त् क्षुत्पिपासा
विग्रह | बद्दल पहिले वर्ण | संधी |
---|---|---|
आपद् + काल | द् = त् | आपत्काल |
षड् + शास्त्र | ड = ट् | षट्शास्त्र |
वाग् + पति | ग् = क् | वाक्पति |
क्षुध् + पिपासा | ध् = त् | क्षुत्पिपासा |
नियम २] पहिल्या पाच वर्गातील कठोर व्यंजनापुढे अनुनासिकाशिवाय स्वर किंवा मृदू व्यंजन आले असल्यास त्याच्या जागी त्याच्याच वर्गातील तिसरे व्यंजन येऊन संधी होते. त्याला 'तृतीय व्यंजन संधी' ( Trutiy Vyanjan Sandhi ) असे म्हणतात.व्यंजन संधी उदाहरण :-
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह बद्दल तिसरे वर्ण संधी सत् + आनंद त् = द सदानंद अप् + ज प् = ब अब्ज वट् + आनन ट् = ड वडानन अच् + अंत च् = ज अजंत वाक् + देवी क् = ग वाग्देवी
विग्रह | बद्दल तिसरे वर्ण | संधी |
---|---|---|
सत् + आनंद | त् = द | सदानंद |
अप् + ज | प् = ब | अब्ज |
वट् + आनन | ट् = ड | वडानन |
अच् + अंत | च् = ज | अजंत |
वाक् + देवी | क् = ग | वाग्देवी |
नियम ३] पहिल्या पाच वर्गातील कोणत्याही व्यंजनापुढे अनुनासिक आल्यास पहिल्या व्यंजनाबद्दल त्याच वर्गातील अनुनासिक येऊन संधी होते. त्याला 'अनुनासिक संधी' ( Anunasik Sandhi ) असे म्हणतात.व्यंजन संधी उदाहरण :-
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह कठोर व्यंजन संधी सत् + मार्ग त् = न् सन्मार्ग सत् + मती त् = न् संमती जगत् + नाथ त् = न् जगन्नाथ षट् + मास ट् = ण् षण्मास वाक् + निश्चय क् = ङ वाड्निश्चय
हे पण पहा :- विभक्ती व त्यांचे प्रकार
➽ 'त्' चे नियम
विग्रह | कठोर व्यंजन | संधी |
---|---|---|
सत् + मार्ग | त् = न् | सन्मार्ग |
सत् + मती | त् = न् | संमती |
जगत् + नाथ | त् = न् | जगन्नाथ |
षट् + मास | ट् = ण् | षण्मास |
वाक् + निश्चय | क् = ङ | वाड्निश्चय |
नियम १] ‘त्’ च्यापुढे ‘च्’ किंवा ‘छ्’ आल्यास ‘त्’ चा ‘च्’ होतो.उदाहरणार्थ :-
उदाहरणार्थ :-
विग्रह वर्ण संधी चलत् + चित्र त् + च् = च् चलच्चित्र सत् + चरित्र त् + च् = च् सच्चरित्र उत् + छेद त् + छ् = च् उच्छेद
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
चलत् + चित्र | त् + च् = च् | चलच्चित्र |
सत् + चरित्र | त् + च् = च् | सच्चरित्र |
उत् + छेद | त् + छ् = च् | उच्छेद |
नियम २] ‘त्’ च्यापुढे ‘ज्’ किंवा ‘झ्’ आल्यास ‘त्’ चा ‘ज्’ होतो.व्यंजन संधी उदाहरण :-
व्यंजन संधी उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी सत् + जन त् + ज् = ज् सज्जन शरत् + झंझावात त् + झ् = ज् शरज्झंझावात उत् + ज्वल त् + ज् = ज् उज्ज्वल
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
सत् + जन | त् + ज् = ज् | सज्जन |
शरत् + झंझावात | त् + झ् = ज् | शरज्झंझावात |
उत् + ज्वल | त् + ज् = ज् | उज्ज्वल |
नियम ३] ‘त्’ च्यापुढे ‘ड्’ आल्यास ‘त्’ चा ‘ड्’ होतो.व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी भगवत् + डमरू त् + ड् = ड् भगवड्डमरू उत् + डान त् + ड् = ड् उड्डान
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
भगवत् + डमरू | त् + ड् = ड् | भगवड्डमरू |
उत् + डान | त् + ड् = ड् | उड्डान |
नियम ४] ‘त्’ च्यापुढे ‘ट्’ आल्यास ‘त्’ चा ‘ट्’ होतो.
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
नियम ४] ‘त्’ च्यापुढे ‘ट्’ आल्यास ‘त्’ चा ‘ट्’ होतो.
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी तत् + टीका त् + ट् = ट् तट्टीका
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
तत् + टीका | त् + ट् = ट् | तट्टीका |
नियम ५] ‘त्’ च्यापुढे ‘ल्’ आल्यास ‘त्’ चा ‘ल्’ होतो.व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी तत् + लीन त् + ल् = ल् तल्लीन उत् + लंघन त् + ल् = ल् उल्लंघन
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
तत् + लीन | त् + ल् = ल् | तल्लीन |
उत् + लंघन | त् + ल् = ल् | उल्लंघन |
नियम ६] ‘त्’ च्यापुढे ‘श्’ आल्यास ‘त्’ चा ‘च्’ होतो. व ‘श्’ चा ‘छ्’ होतो.व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
व्यंजन संधीचे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी सत् + शील त् + श् = च् + छ् सच्छील उत् + श्वास त् + श् = च् + छ् उच्छवास सत् + शिष्य त् + श् = च् + छ् सच्छिष्य
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
सत् + शील | त् + श् = च् + छ् | सच्छील |
उत् + श्वास | त् + श् = च् + छ् | उच्छवास |
सत् + शिष्य | त् + श् = च् + छ् | सच्छिष्य |
हे पण पहा :- वचन व त्याचे प्रकार
➽ 'म्' चे नियम
नियम १] ‘म्’ च्यापुढे स्वर आल्यास तो स्वर मागील ‘म्’ मध्ये मिसळून जातो. जर व्यंजन आल्यास ‘म्’ बद्दल मागील अक्षरावर अनुस्वार येतो.व्यंजन संधी चे उदाहरण :-
व्यंजन संधी चे उदाहरण :-
विग्रह वर्ण संधी सम् + आप्त म् + आ समाप्त सम् + आचार म् + आ समाचार सम् + आलोचन म् + आ समालोचन सम् + ताप म् + त् संताप सम् + गती म् + ग् संगती सम् + चय म् + च् संचय सम् + कल्प म् + क् संकल्प किम् + कर म् + क् किंकर
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
सम् + आप्त | म् + आ | समाप्त |
सम् + आचार | म् + आ | समाचार |
सम् + आलोचन | म् + आ | समालोचन |
सम् + ताप | म् + त् | संताप |
सम् + गती | म् + ग् | संगती |
सम् + चय | म् + च् | संचय |
सम् + कल्प | म् + क् | संकल्प |
किम् + कर | म् + क् | किंकर |
विसर्ग संधी
Visarg Sandhi in Marathi | Visarg Sandhi Marathi | Marathi Visarg Sandhi
विसर्ग संधी म्हणजे काय ?
➤ जेव्हा दोन शब्द एकत्र येताना पहिल्या शब्दातील शेवटचा वर्ण विसर्ग असून दुसऱ्या शब्दातील पहिला वर्ण हा स्वर किंवा व्यंजन असतो तेव्हा त्या संधीला ‘विसर्ग संधी’ ( Visarg Sandhi ) असे म्हणतात.
[ विसर्ग संधी = विसर्ग + स्वर / व्यंजन ]
विसर्ग संधीचे नियम
नियम १] विसर्गाच्या मागे ‘अ’ व पुढे मृदू वर्ण असल्यास विसर्गाचा ‘उ’ होतो व तो मागील ‘अ’ मध्ये मिसळून त्याचा ‘ओ’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
नियम १] विसर्गाच्या मागे ‘अ’ व पुढे मृदू वर्ण असल्यास विसर्गाचा ‘उ’ होतो व तो मागील ‘अ’ मध्ये मिसळून त्याचा ‘ओ’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी यश: + धन यशोधन मन: + रथ मनोरथ तप: + वन तपोवन तेज: + निधी तेजोनिधी मन: + राज्य मनोराज्य अध: + मुख अधोमुख अध: + वदन अधोवदन यश: + गिरी याशोगिरी
हे पण पहा :- एका शब्दाचे अनेक अर्थ
विग्रह | संधी |
---|---|
यश: + धन | यशोधन |
मन: + रथ | मनोरथ |
तप: + वन | तपोवन |
तेज: + निधी | तेजोनिधी |
मन: + राज्य | मनोराज्य |
अध: + मुख | अधोमुख |
अध: + वदन | अधोवदन |
यश: + गिरी | याशोगिरी |
नियम २] विसर्गाच्या मागे ‘अ’ किंवा ‘आ’ सोडून कोणताही स्वर असून पुढे मृदू वर्ण आल्यास विसर्गाचा ‘र्’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
नियम २] विसर्गाच्या मागे ‘अ’ किंवा ‘आ’ सोडून कोणताही स्वर असून पुढे मृदू वर्ण आल्यास विसर्गाचा ‘र्’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी नि: + अंतर निरंतर नि: + विकार निर्विकार नि: + लोभ निर्लोभ दु: + जन दुर्जन दु: + आत्मा दुरात्मा दु: + वासन दुर्वासन धनु: + विद्या धनुर्विद्या आशी: + वचन आशीर्वचन
विग्रह | संधी |
---|---|
नि: + अंतर | निरंतर |
नि: + विकार | निर्विकार |
नि: + लोभ | निर्लोभ |
दु: + जन | दुर्जन |
दु: + आत्मा | दुरात्मा |
दु: + वासन | दुर्वासन |
धनु: + विद्या | धनुर्विद्या |
आशी: + वचन | आशीर्वचन |
नियम ३] पहिल्या शब्दाच्या शेवटी ‘स्’ येऊन दुसऱ्या शब्दाच्या सुरवातीला कोणतेही व्यंजन आल्यास ‘स्’ चा विसर्ग होतो.
उदाहरणार्थ :-
नियम ३] पहिल्या शब्दाच्या शेवटी ‘स्’ येऊन दुसऱ्या शब्दाच्या सुरवातीला कोणतेही व्यंजन आल्यास ‘स्’ चा विसर्ग होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी तेजस् + कण तेज:कण मनस् + पटल मन:पटल
विग्रह | संधी |
---|---|
तेजस् + कण | तेज:कण |
मनस् + पटल | मन:पटल |
नियम ४] विसर्गाच्या मागे ‘अ’ किंवा ‘आ’ सोडून कोणताही स्वर असून पुढे ‘र्’ आल्यास विसर्गाचा ‘र्’ होऊन त्याचा लोप होतो व मागचा ऱ्हस्व स्वर दीर्घ होतो.
उदाहरणार्थ :-
नियम ४] विसर्गाच्या मागे ‘अ’ किंवा ‘आ’ सोडून कोणताही स्वर असून पुढे ‘र्’ आल्यास विसर्गाचा ‘र्’ होऊन त्याचा लोप होतो व मागचा ऱ्हस्व स्वर दीर्घ होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी नि: + रस नीरस नि: + रव नीरव
विग्रह | संधी |
---|---|
नि: + रस | नीरस |
नि: + रव | नीरव |
नियम ५] पहिल्या शब्दाच्या शेवटी ‘र्’ येऊन दुसऱ्या शब्दाच्या सुरवातीला कठोर व्यंजन आल्यास ‘र्’ चा विसर्ग होतो.
उदाहरणार्थ :-
नियम ५] पहिल्या शब्दाच्या शेवटी ‘र्’ येऊन दुसऱ्या शब्दाच्या सुरवातीला कठोर व्यंजन आल्यास ‘र्’ चा विसर्ग होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी अंतर + करण अंत:करण चतुर + शृंगी चतु:शृंगी
विग्रह | संधी |
---|---|
अंतर + करण | अंत:करण |
चतुर + शृंगी | चतु:शृंगी |
नियम ६] पहिल्या शब्दाच्या शेवटी ‘र्’ व त्याच्या मागे ‘अ’ असून दुसऱ्या शब्दाच्या सुरवातीला मृदू व्यंजन आल्यास तो ‘र्’ तसाच राहून संधी होते.
उदाहरणार्थ :-
नियम ६] पहिल्या शब्दाच्या शेवटी ‘र्’ व त्याच्या मागे ‘अ’ असून दुसऱ्या शब्दाच्या सुरवातीला मृदू व्यंजन आल्यास तो ‘र्’ तसाच राहून संधी होते.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी पुनर् + जन्म पुर्नजन्म अंतर् + आत्मा अंतरात्मा नि: + लोभ निर्लोभ
विग्रह | संधी |
---|---|
पुनर् + जन्म | पुर्नजन्म |
अंतर् + आत्मा | अंतरात्मा |
नि: + लोभ | निर्लोभ |
अपवाद :- अंतरस्थ = अंतर् + स्थ
नियम ७] विसर्गाच्या मागे ‘अ’ हा स्वर असून पुढे क्, ख्, प्, फ् यांपैकी एखादे व्यंजन आल्यास विसर्ग कायम राहतो मात्र पुढे व्यंजना ऐवजी स्वर आल्यास विसर्गाचा लोप होतो.
उदाहरणार्थ :-
नियम ७] विसर्गाच्या मागे ‘अ’ हा स्वर असून पुढे क्, ख्, प्, फ् यांपैकी एखादे व्यंजन आल्यास विसर्ग कायम राहतो मात्र पुढे व्यंजना ऐवजी स्वर आल्यास विसर्गाचा लोप होतो.
उदाहरणार्थ :-
विसर्गा पुढे व्यंजना आल्यास विसर्गाचा कायम राहतो.
विग्रह संधी प्रात: + काल प्रात:काल अध: + पतन अध:पतन रज: + कण रज:कण अंत: + पटल अंत:पटल तेज: + पुंज तेज:पुंज
विग्रह | संधी |
---|---|
प्रात: + काल | प्रात:काल |
अध: + पतन | अध:पतन |
रज: + कण | रज:कण |
अंत: + पटल | अंत:पटल |
तेज: + पुंज | तेज:पुंज |
हे पण पहा :- मराठी बोधकथा
हे पण पहा :- मराठी बोधकथा
विसर्गा पुढे स्वर आल्यास विसर्गाचा लोप होतो.
विग्रह संधी अत: + एव अतएव इत: + उत्तर इतउत्तर
विग्रह | संधी |
---|---|
अत: + एव | अतएव |
इत: + उत्तर | इतउत्तर |
नियम ८] विसर्गाच्या मागे ‘इ’ किंवा ‘उ’ असून पुढे क्, ख्, प्, फ् यांपैकी एखादे व्यंजन आल्यास विसर्गाचा ‘ष’ होतो.
नियम ८] विसर्गाच्या मागे ‘इ’ किंवा ‘उ’ असून पुढे क्, ख्, प्, फ् यांपैकी एखादे व्यंजन आल्यास विसर्गाचा ‘ष’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी नि: + कारण निष्कारण बहि: + कार बहिष्कार चतु: + कोष चतुष्कोप दु: + काळ दुष्काळ नि: + कपट निष्कपट नि: + फळ निष्फळ नि: + पाप निष्पाप बहि: + कृत बहिष्कृत दु: + परिणाम दुष्परिणाम नि: + काम निष्काम
विग्रह | संधी |
---|---|
नि: + कारण | निष्कारण |
बहि: + कार | बहिष्कार |
चतु: + कोष | चतुष्कोप |
दु: + काळ | दुष्काळ |
नि: + कपट | निष्कपट |
नि: + फळ | निष्फळ |
नि: + पाप | निष्पाप |
बहि: + कृत | बहिष्कृत |
दु: + परिणाम | दुष्परिणाम |
नि: + काम | निष्काम |
नियम ९] विसर्गाच्या पुढे ‘कृ’ या धातूचे कोणतेही रूप (कर/कार) असल्यास विसर्गाचा ‘स्’ होतो.
नियम ९] विसर्गाच्या पुढे ‘कृ’ या धातूचे कोणतेही रूप (कर/कार) असल्यास विसर्गाचा ‘स्’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी पूर: + कार पुरस्कार पुर: + कर्ता पुरस्कर्ता पुर: + कार पुरस्कार भा: + कर भास्कर तिर: + कार तिरस्कार नम: + कार नमस्कार
विग्रह | संधी |
---|---|
पूर: + कार | पुरस्कार |
पुर: + कर्ता | पुरस्कर्ता |
पुर: + कार | पुरस्कार |
भा: + कर | भास्कर |
तिर: + कार | तिरस्कार |
नम: + कार | नमस्कार |
नियम १०] विसर्गाच्या पुढे ‘च्’ किंवा ‘छ्’ आल्यास विसर्गाचा ‘श्’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी नि: + चल निश्चल नि: + चय निश्चय दु: + चिन्ह दुश्चिन्ह मन: + चक्षु मनश्चक्षु
विग्रह | संधी |
---|---|
नि: + चल | निश्चल |
नि: + चय | निश्चय |
दु: + चिन्ह | दुश्चिन्ह |
मन: + चक्षु | मनश्चक्षु |
नियम ११] विसर्गाच्या पुढे ‘त्’ किंवा ‘थ्’ आल्यास विसर्गाचा ‘स्’ होतो.
नियम ११] विसर्गाच्या पुढे ‘त्’ किंवा ‘थ्’ आल्यास विसर्गाचा ‘स्’ होतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी नि: + तेज निस्तेज मनः + ताप मनस्ताप अध: + तल अधस्तल
विग्रह | संधी |
---|---|
नि: + तेज | निस्तेज |
मनः + ताप | मनस्ताप |
अध: + तल | अधस्तल |
मराठीच्या विशेष संधी
Marathi Vishash Sandhi | Vishash Sandhi in Marathi
मराठीच्या विशेष संधी ( Marathi Vishash Sandhi )
अ क्र मराठीतील विशेष संधी १ पूर्वरूप संधी [ Purv Roop Sandhi ] २ पररूप संधी [ Par Roop Sandhi ]
अ क्र | मराठीतील विशेष संधी |
---|---|
१ | पूर्वरूप संधी [ Purv Roop Sandhi ] |
२ | पररूप संधी [ Par Roop Sandhi ] |
१] पूर्वरूप संधी ( Purv Rup Sandhi ) :-
जेव्हा संधी होताना दोन स्वर एकापुढे एक आले असता पहिला स्वर तसाच राहतो व दुसरा लोप पावतो तेव्हा त्या संधीला पूर्वरूप संधी ( Purv Roop Sandhi ) असे म्हणतात.
पूर्वरूप संधीचे उदाहरण
विग्रह वर्ण संधी नदी + आत ई + आ नदीत खिडकी + आत ई + आ खिडकीत आळी + आत ई + आ आळीत नाही + असा ई + आ नाहीसा साजे + असा ए + अ साजेसा चांगले + असे ए + अ चांगलेसा
हे पण पहा :- मराठी प्रार्थना
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
नदी + आत | ई + आ | नदीत |
खिडकी + आत | ई + आ | खिडकीत |
आळी + आत | ई + आ | आळीत |
नाही + असा | ई + आ | नाहीसा |
साजे + असा | ए + अ | साजेसा |
चांगले + असे | ए + अ | चांगलेसा |
२] पररूप संधी ( Par Rup Sandhi ) :-
जेव्हा संधी होताना एकत्र येणाऱ्या दोन स्वरांपैकी पहिला स्वराचा लोप होतो व दुसरा स्वर तसाच राहतो तेव्हा त्या संधीला पररूप संधी ( Par Roop Sandhi ) असे म्हणतात.
पररूप संधीचे उदाहर :-
विग्रह वर्ण संधी घाम + ओळे अ + ओ घामोळे चिंधी + ओटी ई + ओ चिंधोटी एक + एक अ + ए एकेक हर + एक अ + ए हरेक घर + ई अ + ई घरी भरड + ऊन अ + ऊ भरडून हात + ऊन अ + ऊ हातून कर + ऊन अ + ऊ करून न + उमजे अ + उ नुमजे
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
घाम + ओळे | अ + ओ | घामोळे |
चिंधी + ओटी | ई + ओ | चिंधोटी |
एक + एक | अ + ए | एकेक |
हर + एक | अ + ए | हरेक |
घर + ई | अ + ई | घरी |
भरड + ऊन | अ + ऊ | भरडून |
हात + ऊन | अ + ऊ | हातून |
कर + ऊन | अ + ऊ | करून |
न + उमजे | अ + उ | नुमजे |
३] दीर्घ स्वरापुढे येणाऱ्या स्वराची मागील स्वराशी बहुतेक करून संधी होत नाही.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह वर्ण संधी खा + ऊन आ + ओ खाऊन घे + ईल ए + ई घेईल हो + ऊ ओ + ऊ होऊ जा + ऊ आ + ऊ जाऊ
विग्रह | वर्ण | संधी |
---|---|---|
खा + ऊन | आ + ओ | खाऊन |
घे + ईल | ए + ई | घेईल |
हो + ऊ | ओ + ऊ | होऊ |
जा + ऊ | आ + ऊ | जाऊ |
४] ‘ही’ शब्दयोगी अव्यय मागील संख्याविशेषनाबरोबर संधी होताना दोन प्रकारे लिहिले जाऊ शकतो.
उदाहरणार्थ :-
विग्रह पहिल्या प्रकारे दुसऱ्या प्रकारे दोन + ही दोन्ही दोनही तिन + ही तिन्ही तिनही चार + ही चाऱ्ही चारही
५] अनुसार, अनुरूप यासारखे शब्द जोडताना मागील शब्दाचे सामान्य रूप होऊन पूर्वरूप संधी होते.
विग्रह | पहिल्या प्रकारे | दुसऱ्या प्रकारे |
---|---|---|
दोन + ही | दोन्ही | दोनही |
तिन + ही | तिन्ही | तिनही |
चार + ही | चाऱ्ही | चारही |
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी गरज + अनुसार गरजेनुसार रक्कम + अनुसार रक्कमेनुसार विषय + अनुसार विषयानुसार काम + अनुसार कामानुसार विषय + अनुरूप विषयानुरूप शाळा + अनुरूप शाळेनुरूप
विग्रह | संधी |
---|---|
गरज + अनुसार | गरजेनुसार |
रक्कम + अनुसार | रक्कमेनुसार |
विषय + अनुसार | विषयानुसार |
काम + अनुसार | कामानुसार |
विषय + अनुरूप | विषयानुरूप |
शाळा + अनुरूप | शाळेनुरूप |
हे पण पहा :- संख्यांचे प्रकार
६] बोलण्याच्या ओघात मराठीत काही शब्द एकमेकात मिसळून नवीन रूपे तयार होतात.
हे पण पहा :- संख्यांचे प्रकार
उदाहरणार्थ :-
विग्रह संधी गेली + आहेस गेलीय बसला + आहात बसलात आलो + आहे आलीय येतो + आहे येतोय
विग्रह | संधी |
---|---|
गेली + आहेस | गेलीय |
बसला + आहात | बसलात |
आलो + आहे | आलीय |
येतो + आहे | येतोय |
मराठी संधी आदेश
Sandhi Aadesh in Marathi | Marathi Sandhi Aadesh
आदेश म्हणजे काय ?
संधी आदेश म्हणजे काय ?
➤ संधी होताना एका वर्णाच्या जागी दुसरा वर्ण येणे यालाच 'आदेश' (Adesh) असे म्हणतात.
संधीचे प्रकार किवा संधीचे आदेश पुढील प्रमाणे.
अ क्र घटकाचे नाव १ गुणादेश [ Gunadesh ] २ वृध्यादेश [ Vrudhyadesh ] ३ यणादेश [ Yanadesh ]
अ क्र | घटकाचे नाव |
---|---|
१ | गुणादेश [ Gunadesh ] |
२ | वृध्यादेश [ Vrudhyadesh ] |
३ | यणादेश [ Yanadesh ] |
१] गुणादेश ( Gunadesh ) :-
गुणादेश म्हणजे काय ?
➤ पहिल्या शब्दाचा शेवटचा वर्ण व दुसर्या शब्दाचा पहिला वर्ण एकत्र येऊन ए, ओ आणि अर् असे बदल होत असतील तर त्याला 'गुणादेश' ( Gunadesh ) म्हणतात.
गुणादेश उदाहरण मराठी :-
पहिल्या शब्दातील शेवटचा वर्ण दुसर्या शब्दातील पहिला वर्ण होणारा बदल अ किंवा आ इ किवा ई ए अ किंवा आ उ किंवा ऊ ओ अ किंवा आ ऋ अर्
पहिल्या शब्दातील शेवटचा वर्ण | दुसर्या शब्दातील पहिला वर्ण | होणारा बदल |
---|---|---|
अ किंवा आ | इ किवा ई | ए |
अ किंवा आ | उ किंवा ऊ | ओ |
अ किंवा आ | ऋ | अर् |
गुणादेश उदाहरण मराठी :-
विग्रह स्वर संधी ज्ञान + ईश्वर अ + ई = ए ज्ञानेश्वर ईश्वर + इच्छा अ + इ = ए ईश्वरेच्छा महा + इंद्र आ + इ = ए महेंद्र रमा + ईश आ + ई = ए रमेश समुद्र + ऊर्मी अ + ऊ = ओ समुद्रोर्मी अरूण + उदय अ + उ = ओ अरूणोदय गंगा + उदक आ + उ = ओ गंगोदक ब्रम्ह + ऋषी अ + ऋ = अर् ब्रम्हर्षी राजा + ऋषी आ + ऋ = अर् राजर्षी
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
ज्ञान + ईश्वर | अ + ई = ए | ज्ञानेश्वर |
ईश्वर + इच्छा | अ + इ = ए | ईश्वरेच्छा |
महा + इंद्र | आ + इ = ए | महेंद्र |
रमा + ईश | आ + ई = ए | रमेश |
समुद्र + ऊर्मी | अ + ऊ = ओ | समुद्रोर्मी |
अरूण + उदय | अ + उ = ओ | अरूणोदय |
गंगा + उदक | आ + उ = ओ | गंगोदक |
ब्रम्ह + ऋषी | अ + ऋ = अर् | ब्रम्हर्षी |
राजा + ऋषी | आ + ऋ = अर् | राजर्षी |
२] वृध्यादेश ( Vrudhyadesh ) :-
वृध्यादेश म्हणजे काय ?
➤ पहिल्या शब्दाचा शेवटचा वर्ण व दुसर्या शब्दाचा पहिला वर्ण एकत्र येऊन ऐ आणि औ असे बदल होत असतील तर त्याला 'वृध्यादेश' ( Vrudhyadesh ) म्हणतात.
वृध्यादेश उदाहरण मराठी
पहिल्या शब्दातील शेवटचा वर्ण दुसर्या शब्दातील पहिला वर्ण होणारा बदल अ किंवा आ ए किवा ऐ ऐ अ किंवा आ ओ किंवा औ औ
पहिल्या शब्दातील शेवटचा वर्ण | दुसर्या शब्दातील पहिला वर्ण | होणारा बदल |
---|---|---|
अ किंवा आ | ए किवा ऐ | ऐ |
अ किंवा आ | ओ किंवा औ | औ |
वृध्यादेश उदाहरण मराठी
विग्रह स्वर संधी एक + एक अ + ए = ऐ एकैक मत + ऐक्य अ + ऐ = ऐ मतैक्य सभा + ऐक्य आ + ऐ = ऐ सभैक्य सदा + एव आ + ए = ऐ सभैक्य वृक्ष + औदार्य अ + औ = औ वृक्षौदार्य जल + ओघ अ + ओ = औ जलौघ राजा + औदार्य आ + औ = औ राजौदार्य यमुना + ओघ आ + ओ = औ यमुनौघ
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
एक + एक | अ + ए = ऐ | एकैक |
मत + ऐक्य | अ + ऐ = ऐ | मतैक्य |
सभा + ऐक्य | आ + ऐ = ऐ | सभैक्य |
सदा + एव | आ + ए = ऐ | सभैक्य |
वृक्ष + औदार्य | अ + औ = औ | वृक्षौदार्य |
जल + ओघ | अ + ओ = औ | जलौघ |
राजा + औदार्य | आ + औ = औ | राजौदार्य |
यमुना + ओघ | आ + ओ = औ | यमुनौघ |
३] यणादेश ( Yanadesh ) :-
यणादेश म्हणजे काय ?
➤ पहिल्या शब्दाचा शेवटचा वर्ण व दुसर्या शब्दाचा पहिला वर्ण एकत्र येऊन ऐ आणि औ असे बदल होत व त्यात पुढील स्वर मिसळून संधी होते. त्यालाच 'यणादेश' ( Yanadesh ) असे म्हणतात.
यणादेश उदाहरण :-
पहिल्या शब्दातील शेवटचा वर्ण दुसर्या शब्दातील पहिला वर्ण होणारा बदल इ किंवा ई विजातीय स्वर य उ किंवा ऊ विजातीय स्वर व ऋ विजातीय स्वर र
पहिल्या शब्दातील शेवटचा वर्ण | दुसर्या शब्दातील पहिला वर्ण | होणारा बदल |
---|---|---|
इ किंवा ई | विजातीय स्वर | य |
उ किंवा ऊ | विजातीय स्वर | व |
ऋ | विजातीय स्वर | र |
यणादेश उदाहरण :-
विग्रह स्वर संधी किती + एक ई + ए = य कित्येक अति + उत्तम इ + उ = य अत्युत्तम गुरु + आज्ञा उ + आ = वा गुर्वाज्ञा भानू + ईश्वर ऊ + ई = वी भान्वीश्वर धृ + अन ऋ + अ = र धरण
आम्ही तुम्हाला येथे संधी आदेश म्हणजे काय ? , स्वर संधी म्हणजे काय ?, व्यंजन संधी म्हणजे काय ?, विसर्ग संधी म्हणजे काय ?, त्याची उदाहरणे ही माहिती देण्याचा एक छोटासा प्रयत्न केलाला आहे. तरी तुम्हाला मराठी संधी व त्याचे प्रकार | Sandhi v tyache prakar | Marathi Sandhi | Sandhi v Sandhiche Prakar ) संबंधित प्रश्नांची उत्तरे यातून मिळाली असतील अशी आशा करतो. व तुम्हाला संधी व त्याचे प्रकार | Sandhi v tyache prakar | Marathi Sandhi | Sandhi v Sandhiche Prakar ) ही माहिती नक्कीच आवडली असेल तर मग आपल्या प्रियजनाना शेअर करा.
विग्रह | स्वर | संधी |
---|---|---|
किती + एक | ई + ए = य | कित्येक |
अति + उत्तम | इ + उ = य | अत्युत्तम |
गुरु + आज्ञा | उ + आ = वा | गुर्वाज्ञा |
भानू + ईश्वर | ऊ + ई = वी | भान्वीश्वर |
धृ + अन | ऋ + अ = र | धरण |
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