एकाग्रता का महत्व - बोधकथा
Aekagrata Ka Mahatv Bodh Katha in Hindi
Moral Story in Hindi
वीर बहादुर एक सर्कस में काम करता था। वह खतरनाक शेर को भी कुछ ही समय में पालतू बना लेता था। एक दिन सर्कस में एक नौजवान आया। वह जानवरों के हाव-भाव और हरकतों पर रिसर्च कर रहा था। उसने वीर बहादुर से कहा, 'आपका बहुत नाम सुना है। खतरनाक शेर को भी पालतू कैसे बन लेते हैं आप?' वीर बहादुर ने मुस्कराते हुए कहा, 'देखो, यह कोई राज नहीं है। तुम बड़े सही मौके पर आए हो। आज ही मुझे एक खतरनाक शेर को पालतू बनाना है। वह कई लोगों को अपना शिकार बना चुका है। तुम मेरे साथ चलना और वहां खुद देखना कि मैं कैसे यह काम करता हूं।'
नौजवान ने देखा कि वीर बहादुर ने अपने साथ न कोई हथियार लिया और न ही बचाव के लिए कोई दूसरी चीज। उसने अपने साथ बस एक लकड़ी का स्टूल लिया है। वह हैरान था कि स्टूल से वीर बहादुर खतरनाक शेर को कैसे काबू कर लेगा। शेर जैसे ही वीर बहादुर की तरफ गरज कर लपकता, वह स्टूल के पायों को शेर की तरफ कर देता।
शेर स्टूल के चारों पायों पर अपना ध्यान केंद्रित करने की कोशिश करता और असहाय हो जाता। ध्यान बंटने के कारण कुछ ही देर बाद शेर वीर बहादुर का पालतू बन गया। इसके बाद वीर बहादुर ने नौजवान से कहा, 'अक्सर ऐसा होता है कि एकाग्र व्यक्ति साधारण होने पर भी सफल हो जाता है, लेकिन असाधारण व्यक्ति भी ध्यान बंटने के कारण शेर की तरह पराजित हो जाता है।'
नौजवान ने तभी तय कर लिया कि वह जीवन में हर काम एकाग्र होकर करेगा ।
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